शैतान बाइबिल के पदों का गलत उपयोग करके हमें नष्ट कर सकता है
परिचय: शैतान हमेशा चालाक और कुटिल रहा है। बाइबिल के अनुसार, वह शुरू से ही झूठा है और उसे छल-कपट के रूप में पहचाना जाता है (यूहन्ना 8:44)। बाइबिल के पदों का गलत उपयोग करके वह हमें सही मार्ग से भटका सकता है। बाइबिल में भी इसके उदाहरण मिलते हैं कि कैसे शैतान ने अपने लाभ के लिए परमेश्वर के वचनों का दुरुपयोग किया, और यह हमारे लिए एक चेतावनी है कि हमें पवित्र शास्त्र को सही ढंग से समझना और लागू करना चाहिए। इस लेख में हम देखेंगे कि शैतान बाइबिल के पदों का गलत उपयोग कैसे करता है और इससे बचने के लिए हमें क्या करना चाहिए।
1. यीशु की परीक्षा (मत्ती 4:1-11)
बाइबिल में सबसे स्पष्ट उदाहरण तब मिलता है जब शैतान ने यीशु को जंगल में परीक्षा में डाला। शैतान ने कई बार पवित्रशास्त्र से उद्धरण दिए, लेकिन उसका उद्देश्य यीशु को परमेश्वर की योजना से भटकाना था। आइए इसे विस्तार से समझते हैं:
बाइबिल पद:
"वह अपने स्वर्गदूतों को तेरे विषय आज्ञा देगा... वे तुझे अपने हाथों पर उठा लेंगे, कहीं ऐसा न हो कि तेरे पाँव में पत्थर से ठेस लगे" (मत्ती 4:6)।
उदाहरण: यह पद शैतान ने इस उम्मीद में उद्धृत किया कि यीशु ऊंची जगह से छलांग लगाएं और परमेश्वर की सुरक्षा का परीक्षण करें। यहाँ शैतान भजन संहिता 91:11-12 का उपयोग कर रहा था, लेकिन उसने पद का गलत मतलब निकाला। शैतान चाहता था कि यीशु परमेश्वर की योजना को गलत तरीके से परखें।
यीशु का उत्तर:
"लिखा है, 'तू अपने परमेश्वर यहोवा की परीक्षा न ले'" (मत्ती 4:7)।
यीशु ने स्पष्ट रूप से बताया कि परमेश्वर की सुरक्षा का अर्थ यह नहीं है कि हम उसे जानबूझकर चुनौती दें। शैतान बाइबिल के पदों को संदर्भ से बाहर ले जाकर हमारे विश्वास को चुनौती देने का प्रयास करता है, लेकिन हमें वचन की सही समझ से उसे मात देना चाहिए।
2. झूठी शिक्षा और आत्म-धार्मिकता का फैलाव
शैतान केवल बाहरी परीक्षा ही नहीं करता, बल्कि कई बार वह बाइबिल के पदों का उपयोग करके झूठी शिक्षा और आत्म-धार्मिकता का प्रसार करता है। बाइबिल में इसका उदाहरण मिलता है कि कैसे फरीसियों ने धार्मिकता के नाम पर परमेश्वर की सच्ची सेवा से दूर होकर सिर्फ कर्मकांडों पर ध्यान दिया।
बाइबिल पद:
"यह लोग होठों से तो मेरा आदर करते हैं, परन्तु उनका मन मुझसे दूर रहता है" (मत्ती 15:8)।
उदाहरण: फरीसियों ने बाइबिल के कुछ पदों का गलत तरीके से पालन करते हुए आत्म-धार्मिकता का चोला ओढ़ा, लेकिन उनके दिल में सच्चाई और प्रेम की कमी थी। शैतान इसी प्रकार हमें कर्मकांडों में उलझाकर परमेश्वर से दूर करता है। यह दिखाता है कि केवल धार्मिक क्रियाओं से परमेश्वर प्रसन्न नहीं होते, बल्कि हमारा दिल सही होना चाहिए। शैतान हमें इस प्रकार भ्रमित करता है कि हम केवल बाहरी दिखावे में फंसकर अपनी आत्मा की सच्चाई को भूल जाएं।
3. बाइबिल का गलत अर्थ निकालना
शैतान अक्सर पवित्र शास्त्र के पदों का ऐसा अर्थ निकालता है, जो परमेश्वर की मूल योजना के खिलाफ हो। उदाहरण के तौर पर, कुछ लोग बाइबिल के पदों का इस्तेमाल करके अपने निजी स्वार्थ को सिद्ध करने का प्रयास करते हैं। यह तब होता है जब बाइबिल का सही संदर्भ और अर्थ नहीं समझा जाता, और इसका दुरुपयोग किया जाता है।
बाइबिल पद:
"क्योंकि समय आएगा, जब वे खरे उपदेश की सहेज न रखेंगे, पर अपनी अभिलाषाओं के अनुसार ऐसे उपदेशक जुटा लेंगे, जो उन्हें सुखदायक बातें सुनाएं" (2 तीमुथियुस 4:3)।
उदाहरण: आज के समय में, कई लोग बाइबिल के वचनों का दुरुपयोग करके अपनी इच्छाओं और विचारों को सही ठहराने की कोशिश करते हैं। शैतान चाहता है कि हम परमेश्वर के वचन को अपनी सुविधानुसार मोड़ें और केवल वह सुनें जो हमें अच्छा लगता है। इस प्रकार, वह बाइबिल की सच्चाई को धुंधला कर देता है और हमें अपने मार्ग से भटका देता है।
4. लालच और मोह में फंसाने के लिए बाइबिल का उपयोग
शैतान कभी-कभी बाइबिल के पदों का उपयोग लोगों को सांसारिक सुखों और लालच की ओर आकर्षित करने के लिए करता है। वह लोगों को बताता है कि यदि वे किसी प्रकार का पाप करेंगे, तो भी बाइबिल उन्हें माफ कर देगी। यह एक गलतफहमी है, क्योंकि बाइबिल हमें पाप से दूर रहने और पवित्र जीवन जीने की शिक्षा देती है।
बाइबिल पद:
"क्या हम पाप करते रहें ताकि अनुग्रह अधिक हो? कदापि नहीं! हम जो पाप के लिए मर गए, कैसे फिर उसमें जीवन व्यतीत करें?" (रोमियों 6:1-2)।
उदाहरण: शैतान हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि परमेश्वर का अनुग्रह हमेशा हमें माफ करेगा, चाहे हम किसी भी प्रकार का पाप क्यों न करें। लेकिन बाइबिल हमें सिखाती है कि सच्ची पश्चाताप के बिना पाप करते रहना परमेश्वर की इच्छा के खिलाफ है। शैतान इस प्रकार हमें पाप की ओर खींचने का प्रयास करता है, बाइबिल के पदों का गलत अर्थ निकालकर हमें भटकाने का काम करता है।
निष्कर्ष:
शैतान बाइबिल के पदों का दुरुपयोग करके हमें परमेश्वर की सच्चाई से भटकाने की पूरी कोशिश करता है। लेकिन हमें सदैव चौकस रहना चाहिए और बाइबिल को सही संदर्भ और सही दिशा में समझना चाहिए। पवित्र आत्मा की सहायता से, हम शैतान की चालों को पहचान सकते हैं और उसके द्वारा बाइबिल के वचनों के गलत उपयोग से खुद को बचा सकते हैं। यीशु के उदाहरण से हमें सीखना चाहिए कि शैतान की चालों का सामना कैसे करना है – बाइबिल की सच्ची समझ और परमेश्वर के प्रति पूर्ण समर्पण के साथ।
"इसलिए, यदि कोई तुम्हारे पास आकर यह कहे कि यहाँ मसीह है, या वहाँ, तो विश्वास न करना। क्योंकि झूठे मसीह और झूठे भविष्यद्वक्ता उठ खड़े होंगे, और बड़े-बड़े चिन्ह और चमत्कार दिखाएंगे, यहाँ तक कि यदि संभव हो, तो चुने हुओं को भी धोखा देंगे" (मत्ती 24:23-24)।
सारांश: शैतान बाइबिल के वचनों का दुरुपयोग कर हमें परमेश्वर से दूर ले जा सकता है, इसलिए हमें सतर्क रहना चाहिए। हम पवित्र आत्मा से प्रार्थना कर सकते हैं कि वह हमें शैतान की चालों से बचाए और परमेश्वर के वचनों को सही से समझने में हमारी मदद करे।