**विश्वास और परमेश्वर में विश्वास (Faith & Trust in God)**
1. **इब्रानियों 11:1** – "अब विश्वास उन वस्तुओं का निश्चय है जिनकी आशा की जाती है, और उन बातों का प्रमाण जो देखी नहीं जाती।"
2. **नीतिवचन 3:5-6** – "तू अपने सम्पूर्ण मन से यहोवा पर भरोसा कर, और अपनी समझ पर भरोसा न कर।"
3. **भजन संहिता 37:5** – "अपने मार्ग को यहोवा पर सौंप दे, और उस पर भरोसा रख; और वह पूरी करेगा।"
4. **यशायाह 41:10** – "मत डर, क्योंकि मैं तेरे साथ हूँ; विस्मित मत हो, क्योंकि मैं तेरा परमेश्वर हूँ।"
5. **रोमियों 10:17** – "इसलिये विश्वास सुनने से, और सुनना मसीह के वचन से होता है।"
6. **मत्ती 17:20** – "यदि तुम्हारा विश्वास राई के दाने के समान हो... तो तुम्हारे लिये कुछ भी असम्भव नहीं होगा।"
7. **याकूब 1:6** – "परन्तु जब वह माँगे, तो विश्वास के साथ माँगे और सन्देह न करे।"
8. **भजन संहिता 56:3** – "जब मैं डरता हूँ, तब मैं तुझ पर भरोसा करता हूँ।"
9. **यूहन्ना 14:1** – "तुम्हारे मन में व्याकुलता न हो। परमेश्वर पर विश्वास रखो, और मुझ पर भी विश्वास रखो।"
10. **यिर्मयाह 17:7** – "धन्य है वह मनुष्य जो यहोवा पर भरोसा रखता है, और जिसकी आशा यहोवा में है।"
**शक्ति और साहस (Strength & Courage)**
11. **यहोशू 1:9** – "बलवन्त और साहसी हो; मत डर, और हिम्मत न छोड़।"
12. **यशायाह 40:31** – "परन्तु जो यहोवा की बाट जोहते हैं वे नयी शक्ति प्राप्त करेंगे।"
13. **फिलिप्पियों 4:13** – "मैं मसीह के द्वारा सब कुछ कर सकता हूँ जो मुझे शक्ति देता है।"
14. **2 तीमुथियुस 1:7** – "क्योंकि परमेश्वर ने हमें भय की आत्मा नहीं दी, पर सामर्थ, प्रेम, और संयम की आत्मा दी है।"
15. **व्यवस्थाविवरण 31:6** – "साहसी और बलवन्त हो, डर मत, और न थरथराना।"
16. **1 इतिहास 16:11** – "यहोवा की खोज करो और उसकी शक्ति को खोजते रहो।"
17. **भजन संहिता 46:1** – "परमेश्वर हमारी शरणस्थली और बल है।"
18. **इफिसियों 6:10** – "अन्त में, प्रभु में और उसकी शक्ति में बलवन्त बनो।"
19. **यशायाह 41:13** – "क्योंकि मैं तेरा परमेश्वर यहोवा, तेरा दाहिना हाथ पकड़े हुए हूँ।"
20. **भजन संहिता 18:32** – "ईश्वर वही है जो मुझे शक्ति देता है और मेरा मार्ग सिद्ध करता है।"
**प्रेम (Love)**
21. **यूहन्ना 3:16** – "क्योंकि परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उसने अपना एकलौता पुत्र दे दिया।"
22. **1 कुरिन्थियों 13:4-5** – "प्रेम धीरजवन्त है, प्रेम दयालु है।"
23. **1 यूहन्ना 4:7-8** – "हे प्रियो, हम आपस में प्रेम रखें, क्योंकि प्रेम परमेश्वर से है।"
24. **रोमियों 8:38-39** – "मैं निश्चय जानता हूँ कि न मृत्यु, न जीवन... हमें परमेश्वर के प्रेम से अलग कर सकती है।"
25. **इफिसियों 3:18-19** – "कि तुम प्रेम की चौड़ाई, लम्बाई, ऊँचाई, और गहराई को समझ सको।"
26. **रोमियों 5:8** – "परन्तु परमेश्वर ने हमसे प्रेम किया, जबकि हम पापी थे।"
27. **1 यूहन्ना 4:18** – "प्रेम में भय नहीं होता, परन्तु सिद्ध प्रेम भय को दूर कर देता है।"
28. **1 पतरस 4:8** – "सबसे बढ़कर एक दूसरे से गहरा प्रेम रखो, क्योंकि प्रेम पापों को ढक देता है।"
29. **यूहन्ना 15:13** – "इस से बड़ा प्रेम किसी का नहीं कि वह अपने मित्रों के लिए अपना जीवन दे।"
30. **इफिसियों 5:2** – "प्रेम में चलो, जैसा मसीह ने भी तुमसे प्रेम किया।"
**आशा (Hope)**
31. **यिर्मयाह 29:11** – "क्योंकि मैं उन योजनाओं को जानता हूँ जो मैंने तुम्हारे लिए बनाई हैं, जो आशा और भविष्य देती हैं।"
32. **रोमियों 15:13** – "परमेश्वर जो आशा का स्रोत है, वह तुम्हें सभी आनन्द और शांति से भर दे।"
33. **यशायाह 40:31** – "जो यहोवा की बाट जोहते हैं वे नई शक्ति प्राप्त करते हैं।"
34. **भजन संहिता 33:18** – "यहोवा की दृष्टि उनके ऊपर होती है जो उसका भय मानते हैं।"
35. **विलापगीत 3:22-23** – "यहोवा की करूणा से हम समाप्त नहीं होते, क्योंकि उसकी दया अमर है।"
36. **रोमियों 8:24-25** – "इसलिये हम इस आशा में उद्धार पाते हैं।"
37. **इब्रानियों 6:19** – "यह आशा हमारी आत्मा के लिए एक सुरक्षित और स्थिर लंगर है।"
38. **भजन संहिता 71:5** – "क्योंकि तू ही मेरी आशा है, हे यहोवा।"
39. **भजन संहिता 39:7** – "अब, हे प्रभु, मैं किस की बाट जोहूँ? मेरी आशा तुझ में है।"
40. **1 पतरस 1:3** – "उसने हमें मरे हुओं में से यीशु मसीह के पुनरुत्थान के द्वारा जीवित आशा दी।"
**शांति (Peace)**
41. **यूहन्ना 14:27** – "मैं तुम्हें शांति दिए जाता हूँ, मेरी शांति तुम्हें देता हूँ।"
42. **फिलिप्पियों 4:7** – "और परमेश्वर की शांति जो सारी समझ से परे है, वह तुम्हारे हृदय और विचारों को सुरक्षित रखेगी।"
43. **यशायाह 26:3** – "जो तुझ पर भरोसा रखते हैं, तू उन्हें पूर्ण शांति में रखता है।"
44. **भजन संहिता 29:11** – "यहोवा अपने लोगों को सामर्थ देता है; यहोवा अपने लोगों को शांति का आशीर्वाद देता है।"
45. **कुलुस्सियों 3:15** – "मसीह की शांति तुम्हारे हृदय में राज्य करे।"
46. **2 थिस्सलुनीकियों 3:16** – "अब, शांति का प्रभु तुम्हें हर समय, हर प्रकार की शांति दे।"
47. **मत्ती 5:9** – "धन्य हैं वे जो मेल कराने वाले हैं, क्योंकि वे परमेश्वर के पुत्र कहलाएंगे।"
48. **रोमियों 12:18** – "जहां तक तुम्हारे ऊपर निर्भर है, सबके साथ शांति से रहो।"
49. **भजन संहिता 34:14** – "बुराई से मुँह मोड़ो, और भलाई करो; शांति की खोज करो।"
50. **रोमियों 5:1** – "इसलिये, जब हम विश्वास के द्वारा धर्मी ठहराए गए हैं, तो हमारे प्रभु यीशु मसीह के द्वारा परमेश्वर के साथ शांति है।"
**मार्गदर्शन (Guidance)**
51. **भजन संहिता 119:105** – "तेरा वचन मेरे पांव के लिए दीपक और मेरे मार्ग के लिए ज्योति है।"
52. **नीतिवचन 16:9** – "मनुष्य अपने मन में अपनी राह की योजना बनाता है, परन्तु यहोवा उसके कदमों को निर्देशित करता है।"
53. **यशायाह 30:21** – "और जब तू दाएं या बाएं मुड़े, तो तेरे कान पीछे से वाणी सुनेंगे
, 'यह मार्ग है, इसी पर चल।'"
54. **नीतिवचन 3:6** – "तू अपने सारे मार्गों में उसका ध्यान कर, और वह तेरे पथों को सीधा करेगा।"
55. **याकूब 1:5** – "यदि तुम में से किसी को बुद्धि की कमी हो, तो वह परमेश्वर से माँगे, और वह उसे बिना डाँटे देता है।"
56. **भजन संहिता 32:8** – "मैं तुझे बुद्धि दूंगा और उस मार्ग पर चलाऊंगा जिस पर तुझे चलना है।"
57. **भजन संहिता 37:23** – "यहोवा एक मनुष्य के कदमों को स्थिर करता है, जब वह उसके मार्ग से प्रसन्न होता है।"
58. **नीतिवचन 19:21** – "मनुष्य के मन में बहुत योजनाएं हैं, परन्तु यहोवा की योजना स्थिर रहती है।"
59. **यशायाह 58:11** – "यहोवा लगातार तेरा मार्गदर्शन करेगा।"
60. **भजन संहिता 25:4-5** – "हे यहोवा, मुझे अपने मार्ग दिखा; अपनी सच्चाई में मुझे ले चल।"