1. **यूहन्ना 3:16**
"क्योंकि परमेश्वर ने संसार से ऐसा प्रेम रखा कि उसने अपना इकलौता पुत्र दे दिया, ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे वह नाश न हो, परन्तु अनन्त जीवन पाए।"
2. **भजन संहिता 23:1**
"यहोवा मेरा चरवाहा है; मुझे कुछ घटी न होगी।"
3. **यिर्मयाह 29:11**
"क्योंकि यहोवा की यह वाणी है, कि मैं तुम्हारे लिये जो कल्पनाएँ करता हूँ उन्हें जानता हूँ; वे हानिकारक नहीं, परन्तु शान्तिप्रद हैं।"
4. **यशायाह 40:31**
"परन्तु वे जो यहोवा पर भरोसा रखते हैं, वे नई शक्ति प्राप्त करेंगे; वे उकाबों के समान पंखों से उड़ेंगे, वे दौड़ेंगे और थकेंगे नहीं, वे चलेंगे और शिथिल न होंगे।"
5. **रोमियों 8:28**
"हम जानते हैं कि जो लोग परमेश्वर से प्रेम रखते हैं, उनके लिये सब कुछ मिलकर भलाई ही को उत्पन्न करता है।"
6. **फिलिप्पियों 4:13**
"जो मुझे सामर्थ देता है उसमें मैं सब कुछ कर सकता हूँ।"
7. **मत्ती 11:28**
"हे सब परिश्रम करने वालों और बोझ से दबे लोगों, मेरे पास आओ; मैं तुम्हें विश्राम दूंगा।"
8. **यूहन्ना 14:6**
"यीशु ने उससे कहा, 'मार्ग, सत्य और जीवन मैं ही हूँ; बिना मेरे द्वारा कोई पिता के पास नहीं पहुँच सकता।'"
9. **1 पतरस 5:7**
"अपने सब चिंताए उसी पर डाल दो, क्योंकि उसको तुम्हारा ध्यान है।"
10. **रोमियों 12:2**
"और इस संसार के सदृश न बनो, परन्तु तुम्हारी बुद्धि के नए होने से तुम्हारा चाल-चलन बदल जाए, कि तुम परमेश्वर की भली, और भावी, और सिद्ध इच्छा अनुभव से जान सको।"
11. **इफिसियों 2:8-9**
"क्योंकि अनुग्रह से ही तुम विश्वास के द्वारा उद्धार पाए हो; और यह तुम्हारी ओर से नहीं, वरन परमेश्वर का दान है। यह कर्मों का फल नहीं है, कि कोई घमण्ड करे।"
12. **भजन संहिता 27:1**
"यहोवा मेरा उजियाला और मेरा उद्धार है; मैं किस से डरूँ? यहोवा मेरे जीवन का दृढ़ गढ़ है; मैं किस से भय खाऊं?"
13. **नीतिवचन 3:5-6**
"तू अपनी समझ का सहारा न लेना, अपने सारे मन से यहोवा पर भरोसा रखना। उसी को स्मरण रख, तो वह तेरे सब मार्ग सीधे करेगा।"
14. **मत्ती 6:33**
"पहले तुम उसके राज्य और धर्म की खोज करो तो ये सब वस्तुएँ भी तुम्हें मिल जाएँगी।"
15. **रोमियों 10:9**
"यदि तू अपने मुँह से यीशु को प्रभु जानकर अंगीकार करे, और अपने हृदय में विश्वास करे कि परमेश्वर ने उसे मरे हुओं में से जिलाया, तो तू उद्धार पाएगा।"
16. **गलातियों 5:22-23**
"पर आत्मा का फल प्रेम, आनन्द, मेल, धीरज, कृपा, भलाई, विश्वास, नम्रता, और संयम हैं; ऐसे-ऐसे कामों के विरोध में कोई व्यवस्था नहीं।"
17. **फिलिप्पियों 4:6-7**
"किसी भी बात की चिन्ता न करना, परन्तु हर एक बात में तुम्हारे निवेदन, प्रार्थना और विनती के द्वारा धन्यवाद के साथ परमेश्वर के साम्हने उपस्थित किए जाएं। तब परमेश्वर की शान्ति, जो समझ से परे है, तुम्हारे हृदय और तुम्हारे विचारों को मसीह यीशु में सुरक्षित रखेगी।"
18. **मत्ती 5:16**
"वैसे ही तुम्हारा उजियाला मनुष्यों के सामने चमके, कि वे तुम्हारे भले कामों को देखकर तुम्हारे पिता की, जो स्वर्ग में है, महिमा करें।"
19. **यशायाह 41:10**
"तू मत डर, क्योंकि मैं तेरे संग हूँ; विस्मित न हो, क्योंकि मैं तेरा परमेश्वर हूँ; मैं तुझे बल दूँगा, और तेरी सहायता करूंगा; और अपनी धर्ममय दाहिनी से तुझे थामे रहूँगा।"
20. **यूहन्ना 10:10**
"चोर केवल चोरी करने, घात करने और नाश करने आता है; मैं इसलिये आया कि वे जीवन पाएं और बहुतायत से पाएं।"
21. **2 तीमुथियुस 1:7**
"क्योंकि परमेश्वर ने हमें भय का आत्मा नहीं, परन्तु सामर्थ्य, प्रेम, और संयम का आत्मा दिया है।"
22. **1 यूहन्ना 4:18**
"प्रेम में भय नहीं होता, परन्तु सिद्ध प्रेम भय को निकाल देता है; क्योंकि भय में दण्ड की बात होती है। जो डरता है वह प्रेम में सिद्ध नहीं हुआ।"
23. **भजन संहिता 119:105**
"तेरा वचन मेरे पाँव के लिए दीपक, और मेरे मार्ग के लिए उजियाला है।"
24. **प्रेरितों के काम 1:8**
"परन्तु जब पवित्र आत्मा तुम पर आएगा, तब तुम सामर्थ्य पाओगे; और यरूशलेम में और सारे यहूदिया और सामरिया में और पृथ्वी की छोर तक मेरे गवाह होगे।"
25. **मत्ती 7:7**
"माँगो तो तुम्हें दिया जाएगा; ढूँढ़ो तो तुम पाओगे; खटखटाओ तो तुम्हारे लिये खोला जाएगा।"
26. **रोमियों 15:13**
"अब परमेश्वर जो आशा का स्त्रोत है, तुम्हें विश्वास में सब प्रकार के आनन्द और शान्ति से परिपूर्ण करे, ताकि पवित्र आत्मा की सामर्थ्य से तुम्हारी आशा बढ़ती जाए।"
27. **भजन संहिता 46:10**
"चुप हो जाओ, और जान लो कि मैं ही परमेश्वर हूँ। मैं जातियों में महान हूँ, मैं पृथ्वी पर महान हूँ।"
28. **इब्रानियों 13:5**
"तुम्हारा जीवन लोभ से मुक्त हो, और जो तुम्हारे पास है उसी पर सन्तोष रखो; क्योंकि परमेश्वर ने आप ही कहा है, 'मैं तुझे कभी नहीं छोड़ूंगा, न कभी त्यागूंगा।'"
29. **याकूब 1:5**
"यदि तुम में से किसी को बुद्धि की घटी हो, तो परमेश्वर से माँगे, जो बिना उलाहना दिये सबको उदारता से देता है, और उसे दी जाएगी।"
30. **मत्ती 19:26**
"यीशु ने उनकी ओर देखकर कहा, 'मनुष्यों से यह होना असम्भव है, परन्तु परमेश्वर से सब कुछ सम्भव है।'"
31. **यशायाह 26:3**
"तू उसे पूर्ण शान्ति में रखेगा, जिसका मन तुझ पर स्थिर है; क्योंकि वह तुझ पर भरोसा रखता है।"
32. **भजन संहिता 34:8**
"यहोवा का स्वाद लेकर देखो कि वह कैसा भला है! क्या ही धन्य है वह पुरुष जो उसकी शरण लेता है।"
33. **1 कुरिन्थियों 13:4-7**
"प्रेम धीरजवन्त है, प्रेम कृपालु है; प्रेम ईर्ष्या नहीं करता; प्रेम घमण्ड नहीं करता; प्रेम अभिमान नहीं करता।"
34. **2 कुरिन्थियों 5:17**
"इसलिए यदि कोई मसीह में है, तो वह नई सृष्टि है; पुरानी बातें बीत गईं; देखो, सब कुछ नया हो गया।"
35. **यशायाह 54:17**
"कोई भी हथियार जो तेरे विरुद्ध बनाया जाए वह सफल न होगा; और तू हर एक जीभ का दोषी ठहराएगा जो न्याय में तेरे विरुद्ध उठेगी। यह यहोवा के सेवकों का भाग है, और उनकी धार्मिकता मुझसे है।"
36. **भजन संहिता 91:1**
"जो परमप्रधान की छाया में बसता है, वह सर्वशक्तिमान की छाया में विश्राम पाएगा।"
37. **मत्ती 4:4**
"परन्तु उसने उत्तर दिया, 'लिखा है, मनुष्य केवल रोटी से नहीं, परन्तु हर एक वचन से जीवित
रहेगा जो परमेश्वर के मुख से निकलता है।'"
38. **गलातियों 2:20**
"अब मैं जीवित नहीं रहा, पर मसीह मुझ में जीवित है। और अब मैं शरीर में जीवित हूँ तो केवल उस विश्वास में जो परमेश्वर के पुत्र का है, जिसने मुझसे प्रेम किया और अपने आप को मेरे लिए दे दिया।"
39. **यशायाह 53:5**
"परन्तु वह हमारे अपराधों के कारण घायल किया गया, वह हमारे अधर्म के कारण कुचला गया; हमारी शान्ति के लिए दण्ड उसे मिला, और उसके कोड़ों से हम चंगे हो गए।"
40. **रोमियों 5:8**
"परन्तु परमेश्वर ने हमारे प्रति अपने प्रेम की सिद्धता इस प्रकार प्रगट की, कि जब हम पापी ही थे, तभी मसीह हमारे लिए मरा।"
41. **1 यूहन्ना 1:9**
"यदि हम अपने पापों को मान लें, तो वह विश्वासयोग्य और धर्मी है, कि हमारे पापों को क्षमा करे और हमें सब अधर्म से शुद्ध करे।"
42. **भजन संहिता 37:4**
"यहोवा में प्रसन्न रह, और वह तेरे मन की अभिलाषाओं को पूरा करेगा।"
43. **इफिसियों 6:10**
"अन्त में, प्रभु में और उसके प्रभावशाली सामर्थ्य में बलवन्त बनो।"
44. **भजन संहिता 91:4**
"वह अपने पंखों से तुझे ढांप लेगा, और तू उसके पंखों के नीचे शरण पाएगा; उसकी सच्चाई तेरे लिए ढाल और सुरक्षाकवच होगी।"
45. **नीतिवचन 18:10**
"यहोवा का नाम एक दृढ़ गढ़ है; धर्मी उसमें दौड़कर सुरक्षित रहता है।"
46. **रोमियों 12:12**
"आशा में आनन्दित रहो, क्लेश में धैर्य रखो, प्रार्थना में स्थिर रहो।"
47. **1 कुरिन्थियों 10:13**
"कोई भी परीक्षा तुम्हें नहीं आई जो मनुष्यों के लिए असामान्य हो। और परमेश्वर विश्वासयोग्य है; वह तुम्हें तुम्हारी सहनशीलता से परे परीक्षा में नहीं पड़ने देगा।"
48. **यूहन्ना 15:5**
"मैं दाखलता हूँ, तुम डालियाँ हो। जो मुझ में बना रहता है और मैं उसमें, वह बहुत फल उत्पन्न करता है; क्योंकि मुझसे अलग तुम कुछ भी नहीं कर सकते।"
49. **फिलिप्पियों 4:19**
"और मेरा परमेश्वर तुम्हारी हर आवश्यकता को अपनी महिमा के अनुसार मसीह यीशु में पूर्ण करेगा।"
50. **इफिसियों 3:20**
"अब जो ऐसा सामर्थी है कि हमारी विनती और समझ से कहीं अधिक कार्य कर सके, उस सामर्थ्य के अनुसार जो हम में कार्य करता है।"
51. **नीतिवचन 16:3**
"अपनी योजनाओं को यहोवा के हाथों में सौंप दो, और तुम्हारी योजनाएं सफल होंगी।"
52. **मत्ती 28:19-20**
"इसलिए जाकर सब जातियों के लोगों को शिष्य बनाओ, उन्हें पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा के नाम से बपतिस्मा दो। और उन्हें सिखाओ कि मैं ने जो कुछ तुम्हें आज्ञा दी है, उसका पालन करें। और देखो, मैं संसार के अंत तक हमेशा तुम्हारे साथ हूँ।"
53. **यशायाह 43:2**
"जब तू जल में होकर जाएगा, मैं तेरे साथ हूँ; और जब तू नदियों में होकर चलेगा, वे तुझे न ढाँपेंगी। जब तू आग में होकर चलेगा, तू न जलेगा, और वह ज्वाला तुझे न भस्म करेगी।"
54. **इब्रानियों 11:1**
"अब विश्वास उन वस्तुओं का निश्चय है जिनकी आशा की जाती है, और उन बातों का प्रमाण है जो देखी नहीं जातीं।"
55. **यशायाह 40:29**
"वह थके हुए को शक्ति देता है, और शक्तिहीन को सामर्थ्य बढ़ाता है।"
56. **यशायाह 55:11**
"मेरे मुँह से जो वचन निकलता है वह निष्फल नहीं लौटता; परन्तु जो मुझे प्रसन्नता होती है उसे पूरा करता है, और उस कार्य में सफल होता है जिसके लिए मैंने उसे भेजा।"
57. **रोमियों 8:31**
"तो हम क्या कहें? यदि परमेश्वर हमारे साथ है, तो कौन हमारे विरुद्ध हो सकता है?"
58. **1 यूहन्ना 5:14-15**
"और यह वह विश्वास है जो हमें उसमें है, कि यदि हम उसकी इच्छा के अनुसार कुछ माँगते हैं, तो वह हमारी सुनता है। और यदि हम जानते हैं कि वह हमारी सुनता है, तो हमें विश्वास है कि हमारे पास वह है जो हम उससे माँगते हैं।"
59. **यूहन्ना 8:12**
"यीशु ने फिर उनसे कहा, 'मैं संसार का ज्योति हूँ। जो मेरे पीछे चलता है वह अन्धकार में नहीं चलेगा, परन्तु जीवन की ज्योति पाएगा।'"
60. **इब्रानियों 4:12**
"क्योंकि परमेश्वर का वचन जीवित और प्रभावशाली और हर दोधारी तलवार से भी तेज़ है।"
61. **भजन संहिता 34:17-18**
"धर्मी की दुहाई पर यहोवा कान लगाता है, और उसे उसके सब संकटों से छुड़ाता है। यहोवा टूटे दिल वालों के निकट रहता है, और पश्चाताप करने वालों को बचाता है।"
62. **नीतिवचन 3:3-4**
"कृपा और सच्चाई तुझसे कभी अलग न हों; उन्हें अपने गले में बाँध ले, और अपने हृदय की पट्टी पर लिख ले। तब तू परमेश्वर और मनुष्यों की दृष्टि में अनुग्रह और अच्छी समझ प्राप्त करेगा।"
63. **भजन संहिता 119:11**
"मैं ने तेरे वचन को अपने हृदय में छिपा लिया है, ताकि मैं तेरे विरुद्ध पाप न करूं।"
64. **1 कुरिन्थियों 2:9**
"परन्तु जैसा लिखा है: 'जो न आँखों ने देखा, न कानों ने सुना, और न किसी मनुष्य के मन में आया, वही बातें परमेश्वर ने उनके लिए तैयार की हैं जो उससे प्रेम करते हैं।'"
65. **भजन संहिता 37:23-24**
"यहोवा मनुष्य के कदमों को दृढ़ करता है, और उसकी चाल-चलन से प्रसन्न होता है। यद्यपि वह गिरता है, तो भी वह पूरी तरह से नहीं गिरता, क्योंकि यहोवा उसका हाथ थामता है।"
66. **2 कुरिन्थियों 12:9**
"परन्तु उसने मुझसे कहा, 'मेरा अनुग्रह तेरे लिए पर्याप्त है, क्योंकि मेरी सामर्थ्य निर्बलता में सिद्ध होती है।'"
67. **भजन संहिता 103:1-2**
"हे मेरे मन, यहोवा को धन्य कह, और जो कुछ मुझ में है उसके पवित्र नाम को धन्य कह। हे मेरे मन, यहोवा को धन्य कह, और उसके सब लाभों को न भूल।"
68. **1 यूहन्ना 4:4**
"हे बच्चों, तुम परमेश्वर से हो और उन्हें हरा दिया है, क्योंकि जो तुम में है वह उससे बड़ा है जो संसार में है।"
69. **मत्ती 18:20**
"क्योंकि जहाँ दो या तीन मेरे नाम पर इकट्ठा होते हैं, वहाँ मैं उनके बीच हूँ।"
70. **फिलिप्पियों 1:6**
"और मैं इस बात का विश्वास करता हूँ, कि जिसने तुम में अच्छा काम आरम्भ किया है, वह उसे यीशु मसीह के दिन तक पूरा करेगा।"
71. **नीतिवचन 3:7**
"अपनी दृष्टि में बुद्धिमान न बन, यहोवा का भय मान, और बुराई से दूर रह।"
72. **यशायाह 30:21**
"और जब तुम दाएँ या बाएँ मुड़ोगे, तो तुम्हारे कान पीछे से यह शब्द सुनेंगे, 'यही मार्ग है, इसमें चलो।'"
73. **1 तीमुथियुस 6:12**
"विश्वास के अच्छे युद्ध में लड़, उस अनन्त जीवन को पकड़ ले, जिसके लिए तू बुलाया गया, और बहुत से गवाहों के सामने अच्छा अंगीकार किया।"
74. **नीतिवचन 4:23**
"अपने हृदय की पूरी रक्षा कर, क्योंकि उससे जीवन के सोते निकलते हैं।"
75. **रोमियो 3:23
इसलिये कि सब ने पाप किया है और परमेश्वर की महिमा से रहित हैं।