जब से येशु की तारीफ में
जब से येशु की तारीफ में हम चंद नगमें सुनाने लगे हैं (4)
आसमां पर फ़रिश्ते ख़ुशी से (2)
झूमकर गुनगुनाने लगे हैं (4)
जो निकाला गयाथा अदन से क्योंकि मानी न थी उसने रब की (2)
अब मसीह के रहम से ये आदम (2)
फिर से जन्नत में जाने लगे हैं (4)
ये हमारे मसीहा की रहमत उसके हाथों में थी ऐसी कुदरत (2)
जो सदा से थे अंधे और लंगड़े (2)
हर तरफ आने जाने लगे हैं (4)
आप क्यों हो परेशां जहान में आइए करता हूँ ये बयां मैं (2)
अपनी फिकरें मसीहा को दे दो (2)
प्यार से वो बुलाने लगे हैं (4)