📜 आत्मिक उन्नति के लिए घोषणाएँ (Declarations)
🙏 हर घोषणा को विश्वास और प्रार्थना में बोलें।
1. मैं मसीह में नई सृष्टि हूँ।
📖 "जो मसीह में है, वह नई सृष्टि है; पुरानी बातें बीत गई हैं, देखो, सब कुछ नया हो गया है।"
(2 कुरिन्थियों 5:17)
2. मेरी आत्मा दिन-ब-दिन नया हो रही है।
📖 "हमारा बाहरी मनुष्य तो नाश हो रहा है, परन्तु हमारा भीतरी मनुष्य दिन-दिन नया होता जाता है।"
(2 कुरिन्थियों 4:16)
3. पवित्र आत्मा मुझे सच्चाई में चलाता है।
📖 "जब वह, अर्थात् सत्य का आत्मा आएगा, तो तुम्हें सारे सत्य का मार्ग बताएगा।"
(यूहन्ना 16:13)
4. मैं परमेश्वर की इच्छा को समझता और पालन करता हूँ।
📖 "तू मुझे अपनी भली इच्छा सिखा; क्योंकि तू मेरा परमेश्वर है।"
(भजन संहिता 143:10)
5. मुझमें मसीह का मन है।
📖 "तुम्हारा मन वही हो जो मसीह यीशु का था।"
(फिलिप्पियों 2:5)
6. मैं आत्मा से चलता हूँ, शरीर से नहीं।
📖 "आत्मा के अनुसार चलो, तो तुम शरीर की लालसाओं को पूरा नहीं करोगे।"
(गलातियों 5:16)
7. मैं आत्मिक फल उत्पन्न करता हूँ।
📖 "आत्मा का फल प्रेम, आनन्द, शान्ति, धीरज, कृपा, भलाई, विश्वास, नम्रता और संयम है।"
(गलातियों 5:22-23)
8. परमेश्वर का वचन मेरा मार्गदर्शक है।
📖 "तेरा वचन मेरे पाँव के लिए दीपक, और मेरी राह के लिए उजियाला है।"
(भजन संहिता 119:105)
9. मैं प्रार्थना में स्थिर हूँ।
📖 "प्रार्थना में निरन्तर रहो।"
(1 थिस्सलुनीकियों 5:17)
10. मैं आत्मिक युद्ध में विजयी हूँ।
📖 "जो मुझ में सामर्थ देता है, मैं उसी में सब कुछ कर सकता हूँ।"
(फिलिप्पियों 4:13)
11. मैं आत्मा में बढ़ रहा हूँ।
📖 "तौभी प्रभु के भय में और आत्मा की सान्तवना में बढ़ते हुए कलीसिया बढ़ती गई।"
(प्रेरितों के काम 9:31)
12. मैं पवित्र आत्मा से भरा रहता हूँ।
📖 "आत्मा से भरते जाओ।"
(इफिसियों 5:18)
13. मेरा हृदय परमेश्वर के प्रति कोमल है।
📖 "मुझे एक नया हृदय दे और मुझ में नई आत्मा डाले।"
(यहेजकेल 36:26)
14. मैं सत्य और आत्मा से उपासना करता हूँ।
📖 "सच्चे उपासक आत्मा और सच्चाई से उपासना करेंगे।"
(यूहन्ना 4:23)
15. मैं आत्मिक दृष्टि से देखता हूँ।
📖 "हम विश्वास से चलते हैं, न कि देख कर।"
(2 कुरिन्थियों 5:7)
16. मैं हर दिन मसीह की समानता में बढ़ रहा हूँ।
📖 "जब तक कि हम सब विश्वास और परमेश्वर के पुत्र की पहिचान में एक न हो जाएँ, और सिद्ध मनुष्य न बन जाएँ।"
(इफिसियों 4:13)
17. मेरे विचार परमेश्वर के वचन से भरे हैं।
📖 "जो बातें सच्ची, योग्य, धर्ममय, पवित्र, प्रेमपात्र हैं... उन्हीं पर ध्यान लगाओ।"
(फिलिप्पियों 4:8)
18. मुझमें परमेश्वर का राज्य कार्य कर रहा है।
📖 "परमेश्वर का राज्य तुम्हारे बीच में है।"
(लूका 17:21)
19. मैं आत्मिक सामर्थ और अनुग्रह में बढ़ रहा हूँ।
📖 "हमारे प्रभु और उद्धारकर्ता यीशु मसीह की अनुग्रह और पहचान में बढ़ते जाओ।"
(2 पतरस 3:18)
20. मैं मसीह के स्वरूप में ढलता जा रहा हूँ।
📖 "वह हमें अपनी महिमा से महिमा की ओर बदलता जाता है।"
(2 कुरिन्थियों 3:18)