मसीही जीवन का उद्देश्य क्या है?
मसीही जीवन का उद्देश्य परमेश्वर की महिमा करना, उसकी योजना को समझना, और उसके वचन के अनुसार जीवन जीना है। परमेश्वर ने हमें इस पृथ्वी पर एक उद्देश्य के साथ भेजा है, और हमें उसके प्रेम, अनुग्रह और सच्चाई को दूसरों तक पहुँचाने के लिए बुलाया गया है। बाइबल हमें यह सिखाती है कि हमारा जीवन केवल सांसारिक चीज़ों के लिए नहीं है, बल्कि एक उच्चतर और शाश्वत उद्देश्य के लिए है।
1. परमेश्वर की महिमा करना
मसीही जीवन का सबसे महत्वपूर्ण उद्देश्य परमेश्वर की महिमा करना है। यह तब होता है जब हम अपने जीवन को उसकी आज्ञाओं के अनुसार जीते हैं और दूसरों के सामने उसके प्रेम और सच्चाई को प्रकट करते हैं।
1 कुरिन्थियों 10:31 कहती है:
"इसलिये तुम चाहे खाओ, चाहे पीओ, चाहे जो कुछ करो, सब कुछ परमेश्वर की महिमा के लिये करो।"
उदाहरण:
यदि आप नौकरी कर रहे हैं या पढ़ाई कर रहे हैं, तो उसे इस प्रकार करें कि आपके कार्यों से परमेश्वर का नाम ऊँचा हो। जैसे यीशु ने अपने जीवन के हर कार्य में परमेश्वर की इच्छा को पूरा किया, वैसे ही हमें अपने जीवन में उसकी महिमा करनी है।
2. दूसरों को प्रेम करना और सेवा करना
यीशु मसीह ने हमें सिखाया कि हमें परमेश्वर से प्रेम करना और अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम करना चाहिए। यह प्रेम ही मसीही जीवन का आधार है।
मत्ती 22:37-39 में यीशु ने कहा:
"तू परमेश्वर अपने प्रभु से अपने सारे मन, और अपने सारे प्राण, और अपनी सारी बुद्धि के साथ प्रेम रखना। यह बड़ी और मुख्य आज्ञा है। और दूसरी जो इसके समान है, वह यह है, कि तू अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रखना।"
उदाहरण:
यदि कोई व्यक्ति मुश्किल में है, तो उसकी मदद करना, किसी भूखे को भोजन देना, या किसी दुखी व्यक्ति को सांत्वना देना मसीही जीवन का सच्चा उदाहरण है। यह परमेश्वर की सेवा के समान है।
3. आत्मा में बढ़ना और पवित्र जीवन जीना
मसीही जीवन का उद्देश्य आत्मा में परिपक्वता प्राप्त करना है। यह तभी संभव है जब हम पवित्र आत्मा के मार्गदर्शन में चलें और पाप से दूर रहें।
1 पतरस 1:15-16 कहती है:
"परन्तु जैसा तुम्हारा बुलानेवाला पवित्र है, वैसे ही तुम भी अपने सारे चालचलन में पवित्र बनो। क्योंकि लिखा है, 'पवित्र बनो, क्योंकि मैं पवित्र हूँ।'"
उदाहरण:
यदि हम क्रोध, घृणा और ईर्ष्या जैसे पापों को छोड़कर प्रेम, धैर्य और नम्रता के फलों को अपने जीवन में उत्पन्न करते हैं, तो यह आत्मा में बढ़ने का संकेत है।
4. प्रभु की योजना को पूरा करना
परमेश्वर के पास हर व्यक्ति के लिए एक विशेष योजना है। हमें उसके मार्गदर्शन और वचन के अनुसार अपने जीवन को उसकी योजना के अनुसार ढालना चाहिए।
यिर्मयाह 29:11 कहती है:
"क्योंकि यहोवा की यह वाणी है, कि जो योजना मैं तुम्हारे लिये बनाता हूँ, उन्हें मैं जानता हूँ; वे भलाई की हैं, न कि बुराई की, ताकि मैं तुम्हें आशा और भविष्य दूँ।"
उदाहरण:
यदि आप एक शिक्षक हैं, तो अपने छात्रों को सत्य और ईमानदारी के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करें। यदि आप एक डॉक्टर हैं, तो अपने मरीजों के प्रति करुणा और प्रेम दिखाएं।
5. आत्माओं को बचाना
यीशु मसीह ने हमें 'महान आज्ञा' दी है, जो हमें सिखाती है कि हमें उसकी गवाही को पूरी दुनिया में फैलाना है।
मत्ती 28:19-20 में यीशु ने कहा:
"इसलिये तुम जाकर सब जातियों को चेला बनाओ, और उन्हें पिता और पुत्र और पवित्र आत्मा के नाम से बपतिस्मा दो। और उन्हें यह सिखाओ कि वे उन सब बातों पर चलें, जिनकी आज्ञा मैंने तुम्हें दी है।"
उदाहरण:
अपने कार्यस्थल, समाज या परिवार में ऐसे लोगों को प्रोत्साहित करें जो परमेश्वर के प्रेम को नहीं जानते। उन्हें अपने जीवन के उदाहरण से सिखाएं कि यीशु मसीह में कैसे सच्ची शांति और आशा मिलती है।
6. विश्वास और धैर्य में बने रहना
मसीही जीवन में कठिनाइयाँ और परीक्षाएँ आ सकती हैं, लेकिन इनसे घबराने की बजाय, हमें विश्वास और धैर्य में स्थिर रहना चाहिए।
रोमियों 8:28 कहती है:
"और हम जानते हैं कि जो लोग परमेश्वर से प्रेम रखते हैं, उनके लिये सब कुछ मिलकर भलाई ही को उत्पन्न करता है।"
उदाहरण:
जब आप आर्थिक, स्वास्थ्य या किसी अन्य कठिनाई से गुजर रहे हों, तो यीशु पर विश्वास रखें कि वह आपके लिए सबसे अच्छा करेगा।
निष्कर्ष
मसीही जीवन का उद्देश्य केवल सांसारिक सफलता और आराम तक सीमित नहीं है। यह परमेश्वर की इच्छा के अनुसार जीवन जीने, उसकी महिमा करने, दूसरों की सेवा करने, और आत्माओं को बचाने का एक दिव्य आह्वान है। जैसे यीशु ने कहा:
यूहन्ना 10:10
"चोर केवल चोरी करने, और घात करने, और नष्ट करने को आता है; मैं इसलिये आया कि वे जीवन पाएं, और बहुतायत से पाएं।"
इसलिए, हमें अपने जीवन को इस उद्देश्य के साथ जीना चाहिए कि हमारे हर कार्य से परमेश्वर का नाम ऊँचा हो और हम उसके राज्य के लिए उपयोगी बनें।